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गन्ने का रस ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश कम हो जाता है। गन्ने का रस शीघ्रता से इसकी पूर्ति कर देता है। यह जीवनीशक्ति व नेत्रों की आर्द्ररता को कायम रखता है। इसके नियमित सेवन से शरीर का दुबलापन, पेट की गर्मी, हृदय की जलन व कमजोरी दूर होती है।
सावधानीः मधुमेह (डायबिटीज), कफ व कृमि के रोगियों को गन्ने का सेवन नहीं करना चाहिए। विशेष ध्यान देने योग्यः आजकल अधिकतर लोग मशीन, जूसर आदि से निकाला हुआ रस पीते हैं। 'सुश्रुत संहिता' के अनुसार यंत्र से निकाला हुआ रस पचने में भारी, दाहकारी कब्जकारक होने के साथ संक्रामक कीटाणुओं से युक्त भी हो सकता है। अतः फल चूसकर या चबाकर खाना स्वास्थ्यप्रद है।
ऋषि प्रसाद, मई 2010